Monthly Archives: अगस्त 2010

सोमवार (३०.०८.२०१०) की चर्चा

नमस्कार मित्रों! मैं मनोज कुमार एक बार फिर सोमवार की चर्चा के साथ हाज़िर हूं। आज एक ब्लॉग को थोड़ा गौर से देखा। वह भी इस लिए कि कन्ट्रीब्यूटर्स या योगदान कर्ता के लिए जिस शब्द का प्रयोग किया वह … पढना जारी रखे

कोलकाता, मनोज कुमार में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

समाचार ब्लॉग या ब्लॉग समाचार?

(सभी से क्षमा याचना – ब्लॉगर की डेट सेटिंग में हुई भूल से यह पोस्ट कल की बजाए आज प्रकाशित हो गई है. इसे कल के लिए रीशेड्यूल तो किया है, पर पुरानी डेट पर प्रकाशित रीशेड्यूल्ड ब्लॉगर पोस्टें हटती … पढना जारी रखे

रविरतलामी में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

ये शम्मह का सीना रखते हैं, रहते हैं मगर परवानों में

मेरा मानना है नये नये प्रयोग करते रहने चाहिये इससे जिज्ञासा और कुछ नया पाने की उम्मीद बंधी रहती है और कहने वाले कह गये हैं, उम्मीद में दुनिया कायम है या यूँ कह लीजिये उम्मीद में भारत टिका है … पढना जारी रखे

Tarun में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

"हम सब अपने पूर्वाग्रहों का एक्सटेंशन है"

कभी कभी मन में ये सवाल    उठता था  के   उर्दू में तमाम बंदिशों  ओर  सो काल्ड संकीर्णता के बावजूद इतना खुलापन क्यों है …..क्यों हिंदी में कोई इस्मत चुगताई पैदा नहीं होती …क्यों हिंदी   ब्लॉग में भी महिलाये … पढना जारी रखे

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सोमवार (२३.०८.२०१०) की चर्चा

नमस्कार मित्रों! मैं मनोज कुमार एक बार फिर चिट्ठा चर्चा के साथ हाज़िर हूं। आज श्रावण का अंतिम सोमवार है, भोलेबाबा के भक्तों के लिए पूजा-अर्चना का महत्वपूर्ण दिन। कल रक्षा बंधन का त्योहार है। इस पुनीत पर्व के उपलक्ष्य … पढना जारी रखे

मनोज कुमार में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

कुछ ब्लॉगरोल

बहुत से चिट्ठाकारों ने अपने चिट्ठों पर अपनी पसंदीदा चिट्ठा-सूचियाँ टांग रखी हैं. इससे उनके पसंद और विचार का आभास तो होता ही है, साथ ही उन  चिट्ठों में पहुँचने का आसान लिंक भी मिलता है.  ऐसे ही 2 चिट्ठों … पढना जारी रखे

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शब्दों का क्या, बिखरे हैं इधर-उधर

टेप पर गाना बज रहा है, ‘सुरमई अंखियों वाली, सुना है तेरी अंखियों में‘, मैं गाना एन्जॉय करता हुआ चर्चा करने की सोचता हूँ तभी छुटकी आती है और जिसे ए बी सी तक पता नही उसे चेंज कर अपना … पढना जारी रखे

Tarun में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

स्वतंत्रता की नई चादर फिर से बुननी होगी…

ऐसा नहीं लगता कि स्वतंत्रता की ये चादर नए सिरे से बुननी चाहिए? हममें से अधिकांश को ऐसा लगता होगा. पेश है स्वतंत्रता दिवस पर आम भारतीय की पीड़ा व्यक्त करती कुछ ऐसी ही ब्लॉग पोस्टें: सन ४७ से धुनी … पढना जारी रखे

रविरतलामी में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

कश्मीर…! याद तो है ना?

आज से ठीक चार दिन बाद हम अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहे होंगे.. ब्लोगर नीरज भदवार ठीक कहते है कि दरअसल हमें आज़ादी मिल तो गयी पर अब हमें पता ही नहीं कि इसका करे क्या? कश्मीर में उठती लपटों … पढना जारी रखे

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सोमवार (०९.०८.२०१०) की चर्चा।

नमस्कार मित्रों! मैं मनोज कुमार एक बार फिर सोमवार की चर्चा के साथ हाज़िर हूं। सबसे पहले तो इस ब्लॉग के नियंत्रक को बहुत बधाई इस खूबसूरत टेम्पलेट के लिए। एक आलेख पढ रहा था। शीर्षक है धन का सदुपयोग … पढना जारी रखे

मनोज कुमार में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे