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Monthly Archives: दिसम्बर 2010
"मी विनायक सेन बोलतो "
पूने के उस सभागार में हेयर ट्रांसप्लां टेशन का अपना पेपर प्रजेंट करने के बाद अपने प्रशंसको के बीच बैठे डॉ मेहता अचानक अपनी तारीफ सुनकर भावुक हो उठे है .”.हम सब बहुत बौने लोग है जिनके आसमान की हदे … पढना जारी रखे
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नव वर्ष आ !
नमस्कार मित्रों! आज के कुछ पोस्ट ने इतना प्रभावित किया कि एक और चिट्ठा चर्चा प्रस्तुत करने का लोभ संवरण नहीं कर सका। एक ब्लॉग है नीलाभ का मोर्चा इस पर Hirawal Morcha प्रस्तुत करते हैं देशान्तर के तहत कवि … पढना जारी रखे
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सोमवार २७.१२.२०१० की चर्चा
नमस्कार मित्रों! मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं चिट्ठा चर्चा के साथ। जब नया-नया ब्लॉगर बना था तो कुछ पता ही नहीं था कि ब्लॉगिंग क्या होती है। वो तो जी-मेल का एक अकाउंट था उसे ही खोल … पढना जारी रखे
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आज हम एक उतावले समय में जी रहे हैं
आज 25 दिसंबर है। क्रिसमस का त्योहार मनाया जा रहा है दुनिया भर में। पूरा यूरोप कुड़कुड़ा रहा है मारे बर्फ़ानी माहौल के। जिधर देखो उधर बर्फ़ नजर आ रही है। सड़क पर बर्फ़, छतों पर बर्फ़, गाड़ियों पर बर्फ़, … पढना जारी रखे
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लड़कियाँ, अपने आप में एक मुक्कमिल जहाँ होती हैं
कई दिनों से ब्लॉग पढ़ना कम हो गया। लिखना तो औरौ कम। आज भी यही हुआ। एकाध पोस्टें बांची और लोटपोट तहाकर धरने वाले थे कि किसी पोस्ट में अपनी लक्ष्मीबाई कंचन की पोस्ट दिख गई! कल किसी ने इसकी … पढना जारी रखे
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यहां वहां से उठाकर रखे कुछ अधूरे पूरे सफ्हे
शब्द शब्द होते है …उन्हें किसी लिबास की आवश्यकता क्यों……न किसी नेमप्लेट की…….कभी कभी उन्हें गर यूं ही उधेड़ कर सामने रखा जाए तो…….(एक) हर दिन की तरह, अल्सुबह की नरमी आँखों में भारती रही, दोपहर का सूरज चटकता रहा … पढना जारी रखे
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सोमवार (१३.१२.२०१०) की चर्चा
नमस्कार मित्रों! मैं मनोज कुमार एक बार फिर हाज़िर हूं सोमवार की चर्चा के साथ। कुछ दिन के अंतराल के बाद आया हूं। ऐसी कोई खास व्यस्तता न होते हुए भी कुछ ऐसा होता गया कि इस मंच से चर्चा … पढना जारी रखे
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माचिस एक आग का घर है…..जिसमें बावन सिपाही रह्ते हैं.
लिखते रहना एक अच्छी जिद है ….किताबी पन्नो के बरक्स कंप्यूटर भी बड़ी सहूलियत से किसी भी वक़्त अपने स्क्रीन पर बहुत कुछ अच्छा लिखा दिखा सकता है .टेक्नो लोजी ने पाठको को न केवल बढाया है ..अलबत्ता परस्पर … पढना जारी रखे
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….इस देश में देशभक्ति बड़ी सस्ती चीज़ है
कल की चर्चा में नीरज बसलियाल की टिप्पणी थी- हम टिप्पणी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले गरीब ब्लोगरों को कितना राशन मिलेगा| टिप्पणी देखते ही लगा कि कुछ खास ग्राहक है। गये ब्लॉग तो देखा नाम है कांव-कांव। … पढना जारी रखे
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चिट्ठाचर्चा को राशन की दुकान मत बनाइये
ब्लॉगिंग करने को फ़िर मन आया कई दिनों के बादपोस्टों पर बेमतलब टिपियाया कई दिनों के बादभाईचारे का भभ्भड़ देखा फ़िर कई दिनों के बादटिप्पणियों से खिल गयीं बांछे फ़िर कई दिनों के बाद। यहां-वहां लड़-भिड़कर आया वो कई दिनों … पढना जारी रखे
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