Monthly Archives: अगस्त 2005

रवि रतलामी का इन्टरव्यू

मेल एण्ड गार्जीयन में रवि रतलामी से बातचीत की आधार पर क्षेत्रीय भाषाऒं के लिये की उन्नति के लिये जुगत की बारे में सूचना उत्साह वर्धक है। मजहब और शोर में रिश्ता तलाश रहे हैं लक्ष्मीं गुप्ता। सुनील दीपक रुपये-पैसे … पढना जारी रखे

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नये हस्ताक्षर

स्वागत करें सुमात्रा, ईंडोनेशिया निवासी राजेश कुमार सिंह के चिट्ठे छाया और खड़गपुर, पश्चिम बंगाल निवासी कुमार पद्मनाभ के अनाम चिट्ठे का।

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मनोरंजन से भजन की ओर

देश दुनिया में जब होम्योपैथी पर सवाल उठ रहे हैं तब पंकज का यह पूछना कि ‘मैं कौन हूं’ सोचने को मजबूर करता है। एक ओर जहां सुनील दीपक सड़क के कलाकारों से मिलवाते हैं वहीं संकेत गोयल मिलवाते हैं … पढना जारी रखे

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चाय की चुस्की के साथ ब्लागिंग के सूत्र

ऐसा भी कहीं होता है कि आप सुनील दीपक की बनाई चाय की चुस्कियां लेते हुये फुरसतिया के ब्लागिंग के सूत्र घोंट रहे हों। अतुल तो कहते हैं कि ऐसा केवल भारत में ही संभव है। उधर स्वामीजी अपनी चुनरी … पढना जारी रखे

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विकलांगता का यौन जीवन पर असर

विकलांगता का यौन जीवन पर असर क्या असर पड़ता है यह जानने के लिये सुनील दीपक ने अपने अध्ययन में विकलांग लोगों से बात की। नतीजे शायद आप भी जानना चाहें। ए.टी.एम केवल पैसा ही नहीं निकालता है। यह खोये … पढना जारी रखे

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स्वागत है!

दो नये चिट्ठेः उज्जैन निवासी विवेक रस्तोगी की कल्पतरु और संजय विद्रोही की अभिरुचि।

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क्योंकि चौबेजी आये हैं…

लोग पिक्चरें देख रहे हैं, पिक्चरें जो न करायें। नये-नये अनुभव हो रहे हैं। किसी के कपड़े खराब हो रहे हैं, कोई दस नंबरी बनकर सरकार बनवा रहा है। कोई यहूदियों के खतने देख रहा है, किसी को बचपन की … पढना जारी रखे

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जब जागो तब सबेरा

अनुनाद सिंह की सुभाषित-वर्षा में भीगते हुये अगर आपको कोई ऐसा दोस्त दिख जाये जो क्विकस्टार की बात शुरु कर दे तो भागने में ही आपकी भलाई है। भले ही आपको गुजरा जमाना याद हो लेकिन आप अपने ब्लाग का … पढना जारी रखे

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बदलाव तो होता ही है

सभ्यता के नशेड़ी: निठल्ला होंगे तो नशा लाजिमी है। अपने निठल्ले भी शिकार हो गये -नशे के। नशा है सभ्यता का। देखें शायद आप भी इसमें डूबना चाहें। बदलाव तो होता ही है: यात्रा में कुछ तो बदलेगा ही लगता … पढना जारी रखे

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अपना-अपना धंधा है

अपना-अपना धंधा है। भीख मांगना अगर पेशा है तो कुछ अंदाज भी पेशेवराना होगा ही। मजबूरी हो या अलाली भीख मांगने में भी कम मेहनत नहीं लगती। इसके आगे का सच जानने की उत्सुकता है तो सुनीलजी के ब्लाग तक … पढना जारी रखे

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