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Category Archives: chitha charcha
बवाले जान हुआ खुदा
ईश्वर मध्ययुगीनता के प्रतीकात्मक अवशेष का नाम है। जब जब इंसान को यह भ्रम होने लगता है कि वह मध्ययुगीनता से बाहर तो नहीं आ गया वो झट से भगवान को याद कर लेता है तुरंत ही पूरी हिंस्र मध्ययुगीनता … पढना जारी रखे
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17 टिप्पणियां
‘जजमेंटल’ होने के ट्रैप से बचा रहना
कल अनूपजी ने चर्चा तारीख बदलने से बस कुछ ही पहले की, एक जानकार चर्चापाठक ने राय रखी- ई अपरिहार्य कार्य चर्चा के दिन ही क्यों टपक पड़ते हैं??? और यह मुत्तादी [कंटेजियस] क्यों होते हैं?? शायद किसी ब्लाग वायरस … पढना जारी रखे
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27 टिप्पणियां
वोट से बनो कि बिन वोट पप्पू तो तुम्हें ही बनना है
हमारा मानना रहा है कि भारतीय राजनीति और कला का बहुत गहरा नाता है ! जब जब राजनीति में सरगर्मियां और हलचल बढती है कला की सभी विधाओं में रचनात्मक उर्जा बढी हुई दिखाई देने लगती है ! खासकर ब्लॉग … पढना जारी रखे
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10 टिप्पणियां
एक और अनेकः सच्चा शरणम् अखिलं मधुरम्
कभी पहले जब मैं नियमित चर्चा करता था तब मैं ज्यादा से ज्यादा उन चिट्ठों को टटोलता था जो भीड़ में गुम से रहते थे। अपनी इस कोशिश में कई अच्छे लिखने वालों का पता चला था जिनमें से ज्यादातर … पढना जारी रखे
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16 टिप्पणियां
एक और अनेकः अशोक का कृषि दर्शन
अपने पर्सनल चिट्ठे पर जब मैं दूरदर्शन के पुराने दिनों की याद कर रहा था तो उसमें डा अनुराग ने एक टिप्पणी में कहा था, जो एक प्रोग्राम कुछ खासा अच्छा नही लगता था वो था कृषि दर्शन, कमोबेश यही … पढना जारी रखे
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16 टिप्पणियां
झूले में पवन के आई गीतों की बहार
मैं यूँ ही इस तरफ चला आया तो खामोशी देखी, जहाँ गीत बजने चाहिये थे वहाँ सन्नाटा बिखरा हुआ था। जब सारे विश्व में शांति का बैंड बजा हुआ हो तो ये शांति हमें यहाँ कैसे सुहाती लिहाजा पेशे खिदमत … पढना जारी रखे
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8 टिप्पणियां
एक और अनेकः महेन की बतियां
उन्मुक्त होने में जो आनंद है वो नियमित होने में नही, इसमें बंधन खुल से जाते हैं। फुरसतिया ने चर्चा से जाने पर अनियमित चर्चा करने की बात करी, लेकिन मेरा चर्चा छोड़ना किसी बंधन की वजह से नही था। … पढना जारी रखे
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22 टिप्पणियां
गीत सुनोगे हुजूर या गजल सुनाऊँ
चर्चा में इस ख्याल से फिर आ गया हूँ मैं, शायद मेरे जाने से मुर्झा गये हों आप। लेकिन ऐसा मेरा मानना है, आप लोग तो सोच रहे होंगे – जाने से उसके चर्चा से खुश हो गये थे सब, … पढना जारी रखे
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15 टिप्पणियां
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय
आज वी डे है यानि वैलेंटाईन डे, आज ये हमारी आखिरी चर्चा भी है, आज के बाद किसी और शनिच्चर को आना होगा। आज अपनी आखिरी चर्चा वैलेंटाईन दिवस की शुभकामनाओं के साथ समर्पित करके जा रहा हूँ उन बुजुर्गों … पढना जारी रखे
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30 टिप्पणियां
पहला प्यार और बसंत की मार कल काहे पड़ी थी
कल अनुपजी ने चर्चा करी थी हमारा जिक्र किया साथ में एक “दा विंसी कोड” भी छोड़ गये, जिसे कोई भलामानुष तोड़ नही पाया। माथा हमारा भी ठनका था लेकिन फिर जब टिप्पणियों में अपना नाम बारबार पढ़ने को मिला … पढना जारी रखे
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17 टिप्पणियां