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Monthly Archives: नवम्बर 2006
कुछ चिराग जलाने होंगे दिन में
जाड़े के दिन शुरू हो गये हैं। रात ठिठुरन भरी और दिन-दोपहर गुनगुनी होने लगी हैं। ये आदर्श दिन हैं जब कोई कोमल कविमना ब्लागर नयी-पुरानी कवितायें दनादन पोस्ट कर दे और हमारे पास सिवा वाह-वाह के कोई चारा न … पढना जारी रखे
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विकास के यह रंग
आज ऐसा लगता है सब आराम करने में जुटे हैं। जिसे आराम करना चाहिये था वो बस काम करते दिखे। हमारे काव्यात्मक चिट्ठाचर्चक राकेश खंडेलवाल जी अपनी शादी की २५वीं वर्षगांठ मनाकर छुट्टी से लौट आये हैं और आते ही … पढना जारी रखे
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मध्यान्हचर्चा दिनाकं 28-11-2006
संजय ने नियत समय पर कक्ष में कदम रखा, तब धृतराष्ट्र ‘टी-ब्रेक’ के दौरान कोफी का जायका लेते हुए चिट्ठों का हालचाल सुनने को तैयार थे. उन्होने संजय का मुस्कुराकर स्वागत किया तथा अपनी कुर्सी में धंस गए. संजय संजाल … पढना जारी रखे
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मध्यान्हचर्चा दिनांक : 27-11-2006
चिट्ठाचर्चा से ज्ञानार्जन के बाद धृतराष्ट्र काफी ओजस्वी लग रहे थे. संतो जैसी मुस्कान के साथ कोफी के घूंट भर रहे थे. संजय थोड़े हिचकिचाहट महसुस कर रहे थे. नारदजी तक उनकी आवाज नहीं पहुंच रही थी, तब पूरक को … पढना जारी रखे
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तमाम ज्ञान बांटता एक अज्ञानी…
आवेग में आकर हम कुछ ऐसी-वैसी टिप्पणियाँ कर देते हैं, परंतु आमतौर पर अज्ञानतावश ऐसा हो जाता है. लोगों की अज्ञानता को बहुत से बुद्धिमान – शयाणे भुनाते भी हैं, और, यह तो सदियों से चला आ रहा है. यूँ, … पढना जारी रखे
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आइये मनाए, रक्तरंजित आभार-दिवस
साथियों मेरा नाम पप्पू भैया है, आप मेरे से अक्सर चौधरी साहब के ब्लॉग मे मिले होंगे। आज चौधरी साहब टहलने गए है, इसलिए चिट्ठा चर्चा का भार हम पर डाल गये है। अब जैसे तैसे करना तो पड़ेगा ही, … पढना जारी रखे
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मध्यान्हचर्चा दिनांक : 25-11-2006
धृतराष्ट्र अच्छे मूड में नहीं हैं. बेमन-से कोफी पी रहे हैं और संजय को देखे जा रहे हैं. संजय भी मूड को भाँप कर बीना कुछ बोले चुपचाप संजाल को टटोल रहे हैं. समय-सर चर्चा सुनने को न मिले तो … पढना जारी रखे
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मध्यान्हचर्चा दिनांक : 25-11-2006
धृतराष्ट्र अच्छे मूड में नहीं हैं. बेमन-से कोफी पी रहे हैं और संजय को देखे जा रहे हैं. संजय भी मूड को भाँप कर बीना कुछ बोले चुपचाप संजाल को टटोल रहे हैं. समय-सर चर्चा सुनने को न मिले तो … पढना जारी रखे
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प्रेम याने प्रेम याने प्रेम होता है
प्रस्तुत है आज की चिट्ठा चर्चा ज़रा संक्षिप्त रूप में। मुकेश बंसल कहते हैं कि हिंदी को अपनाने के मामले में हम दोहरे मापदंडों का इस्तेमाल करते रहे हैं, “हर पढ़ा-लिखा हिंदुस्तानी अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में डालना चाहता … पढना जारी रखे
अपने सपनों को रखिये, अपनी मुठ्ठी में भरके
जगजीत-गुलज़ार आज वैसे तो चर्चा करने की अतुल का बारी है। लेकिन वो कल ही हमारे हिस्से की चर्चा छू के निकल लिये लिहाजा जुमे की नमाज हमें पढ़नी पड़ेगी। हम खुशी-खुशी इसके लिये अपना माउस और की बोर्ड पोछ … पढना जारी रखे
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