Monthly Archives: अक्टूबर 2005

सितारों की तरह झिलमिलाते रहो

कन्हैया रस्तोगी अहा जिंदगी की बातें बताते हुये चुटकुले सुनाने लगे।आशीष तिवारी दुबारा मेट्रो में घुमाने लगे।रवि रतलामी से आर.के.लक्ष्मण के कार्टून लाखों मेंबिकने की बात सुनकर ब्लागर की हालत खराब हो गई लेकिन अपने देबाशीष मुफ्त में टेम्पलेट बांटने … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

ये अच्छी बात नहीं है

नींद के मारे सुनीलजी को कुंभकर्ण से सहज सहानुभूति है इसीलिये लंबी गरदन बाली लड़कियों को देखते-देखते कुंभकर्ण के बारे में चिंतित हो गये। आशीष गर्ग कवि सम्मेलन के बारे में बता रहे हैं तो आशीष श्रीवास्तव कन्या पुराण बांच … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | 4 टिप्पणियां

दीवाने ने आकर फिर एक दीये की लौ जलाई

दिल्ली ब्लाग शुरु हुआ, लोग मैराथन दौड़े और हादसा हो गया हादसों के शहर में। यह सब देखकर भोपाली भाई का दूध उबलनेलगा और विद्रोही के यहां जलजला आ गया। इधर लक्ष्मी गुप्त जी ने एक पत्ती देखी, फिर कुछ … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

असम्भव हो हर कार्य जरुरी नही

देश-दुनिया की ब्लागिंग जेल तक पहुंचा सकती है। एक खिड़की आठ सलाखें पर पंद्रह कवितायें सुनिये रति सक्सेना जी से। नवरात्र गुजर गया लेकिन उसका महत्व भी तो जान लीजिये शशि सिंह से। स्नान-समस्या से ग्रस्त, आशियाना ढूंढते जीतेन्दर परेशान … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | 1 टिप्पणी

पंगा ना लै मेरे नाल!

यूथ करी की लेखिका रश्मि बंसल ने अपनी पत्रिका जैम में की मैनेजमेंट गुरु अरिंदम चौधरी के संस्थान आई.आई.पी.एम की निंदा, बस फिर क्या था। आई.आई.पी.एम के लोग इनके पीछे पड़ गये, गंदी टिप्पणियों के साथ। रश्मि का साथ देने … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

चिट्ठाचर्चा में उनका श्रीमुख

आज का चिट्ठाचर्चा उनके श्रीमुख की तरह। बतायें कैसा लगा? प्रेमिका के बालिग होने का इंतजार करते करते इतना वक्त बीत गया कि वो एक सिलेंडर बेचने वाले के साथ भाग गई-अपनी ढपली मास्टर्स तो रसायन शास्त्र में कर रही … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

उलटफेर जारी

ब्लॉग की दुनिया के उलटफेर जारी हैं। एओएल की वेब्लॉग्स ईंक की खरीद की खबर अभी बासी भी नहीं हुई कि अब वेरीसाईन ने डेव वाईनर के वेब्लॉग्स डॉट कॉम को खरीद लिया है। वेब्लॉग्स डॉट कॉम खासा प्रसिद्ध पिंग … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

हवाएँ राह चलते भी हमें पहचाने लेती हैं

लोग पूजा कर रहे हैं लताजी की परेशान हैं देबाशीष। खेलों की देशभक्ति के विकेंद्रीकरण के बारे में भी विचार करते को कहते हैं। पड़ोसी के दुख को महसूसते हुये सुनील दीपक का ऐसा कहना है कि दुनिया सिमट रही … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

उई माँ!

वैसे इस मलयालम फोटोब्लॉग प्राणीलोकम के कीड़े इतने डरावने भी नहीं। मज़ा नहीं आया, लगता है आप विंडोज़ एक्सपी के बिहारी संस्करण का प्रयोग नहीं कर रहे?

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे

क्या यही प्यार है?

बचपन में “उठो लाल अब आंखे खोलो” कविता सुनकर जागने की आदत बना चुके स्वामीजी अब परेशान हैं अलार्म घड़ी की आवाजों से। अतुल कुछ तरीके बता रहे हैं दुल्हिन को बस में रखने के। हिंदिनी पर अपनी पोस्टों का … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | टिप्पणी करे