Monthly Archives: अक्टूबर 2006

हालोवीन का असर

फिर मंगल आ गया सामने चर्चा करने आना हैइधर उधर से ढूँढ़ ढांढ कर फोटू भी चिपकाना हैलिखना क्या है सोच सोच कर कलम सरकती हाथॊं सेकिसका चिट्ठा छोटा है, किस पर लंबा अफ़साना है चिट्ठा चर्चा से पहले चर्चाकारों … पढना जारी रखे

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मध्याहन चिट्ठाचर्चा

यह किसी भी चिट्ठाचर्चाकर्ता के काम में टाँग घुसेडने का प्रयास नहीं हैं. हमे ऊपर से आदेश हुआ था कि इस प्रकार का कोई प्रयास करो. यानी अगर पुरा भोजन न परोस सको तो बीच-बीच में अल्पाहार ही करवाते रहो. … पढना जारी रखे

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कल रात एक सपना देखा

यही तो प्यार है आज की चिट्ठाचर्चा कुछ देरी से काहे से आज हफ्ते का पहला दिन है। सोमवार पर इतवार की खुमारी का कब्जा है। कल रात जब कंप्यूटर को शुभरात्रि बोलने जा रहे थे कि रवि रतलामी जी … पढना जारी रखे

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चिट्ठा विवेचना: शनिवार २८ अक्टूबर, २००६

तो भई, हम फिर से हाजिर हूँ, चिट्ठा चर्चा के लिए। एक तो ये ब्लॉगरवा (ब्लागर डाट काम) आज बहुत नटखटिया रहा है, ऊपर से ले दे कर गिनती के पाँच सात चिट्ठे। अब अनूप भाई ने बहुत कम स्कोप … पढना जारी रखे

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ये बेचारे क्रिकेट के मारे

वैसे तो काम भर के चिट्ठों की चर्चा मैं सबेरे कर चुका था लेकिन कुछ रह गये। रह इसलिये गये कि उनकी चर्चा करने के लिये समय कम पड़ गया। सो अब यह एरियर चिट्ठा लिख रहा हूं। कारण यह … पढना जारी रखे

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कि लूटने जाओ तो काग़ज और कलम निकले [ गुजराती चिट्ठे ]

बहुत दिन हो गए कुछ लिखा ही नहीं। छुट्टियाँ खत्म हो गई दिवाली कि पर ये गुजराती लोग भी कमाल के होते हैं। अब कहते हैं कि चलो ना यार सोमवार से ही काम पर लौटते हैं। वैसे भी आधा … पढना जारी रखे

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इश्क में राय बुज़ुर्गों से नहीं ली जाती

अतुल अपने लेखन में नित नये आयाम जोड़ते चले जा रहे हैं। कल उन्होंने बैट-बाल खेलते हुये चिट्ठाचर्चा की। इस मामले में वे क्रिकेट गुरू ग्रेग चैपेल के अंदाज़ में काम कर रहे हैं नित नये प्रयोग। अब ये अलग … पढना जारी रखे

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चिठ्ठा कमेंटरी का सीधा प्रसारण

कमेंट्रेटरः भाईयो और जीतू भाई की बहनों आप सबका चिठ्ठाऐ मैदान में स्वागत है। अभी अभी समीर लाल जी और फुरसतिया जी की जोड़ी अविजित शतकिय पारी निभा कर पैवेलियन वापस गई है। धुरंधर बैटिंग के छक्के चौको के मध्य … पढना जारी रखे

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हम अंधविश्वासी कब सुधरेंगे

घर अपना जब से लिये,लखनऊ शहर में जायफुरसतिया गंजिंग करें,चर्चा लिखत कविराय. चर्चा लिखत कविराय कि हर दिन नई कहानीलिखते लिखते बीत रही,यह नादान जवानीकहे समीर कि थकते नहीं हम इतना लिख करछुपकर समय निकालते,फिर दफ्तर हो या घर. (गंजिंग … पढना जारी रखे

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आपके चिट्ठे का भविष्य

कल ईद के मौके पर मैं समीरलाल जी को बोलकर गया था कि मैं बाहर जा रहा हूं आप अपने साथ हमारा दिन भी देख लीजियेगा और गुरुवार की चिट्ठाचर्चा कर दीजियेगा। अब जब मैंने देखा कि उनका लेख भी … पढना जारी रखे

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