Monthly Archives: मार्च 2009

कैसे करते टिप्पणी ?

नमस्कार !मंगलमय चिट्ठाचर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है ! धीरू सिंह जी के दरवार में पहुँचे तो देखा बडी़ जबरदस्त बहस चल रही है . बहस का मुद्दा है कि यह वरुण गाँधी हिंदू कब से हो गए ? बहस … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | 29 टिप्पणियां

डायरी की अंतर्मुखता बनाम ब्लॉग का बहिर्मुख स्वभाव

A group of activists surround a number 60 shaped with candles during the world “Earth Hour” event, in Santiago, on March 28, 2009. From Sydney Harbour to the Empire State Building, cities and world landmarks plunged into darkness as a … पढना जारी रखे

Kavita Vachaknavee में प्रकाशित किया गया | 19 टिप्पणियां

इक लौ क्यूं इस तरह बुझी मेरे मौला? साप्ताहिक संगीत चिट्ठाचर्चा

एक बार फिर मैं हाजिर हूं गीत संगीत के चिट्ठों की जानकारी लेकर!मनीष भाई और उसके बाद तरुणजी के द्वारा पिछले दो शनिवारों को संगीत चिट्ठों की चर्चा किये जाने से थोड़ा बोझ हल्का हो गया, अब कोई एकाद मित्र … पढना जारी रखे

सागर चन्द नाहर, Sagar Chand Nahar में प्रकाशित किया गया | 18 टिप्पणियां

व्यंग्य जीवन से साक्षात्कार करता है!

एक लाईना तेरी किताब की ऐसी तैसी करने के बाद :ही अब तुमसे निपटने की सोचूंगा क्यों मिटे भारत से पोलियो….. : कोई जरूरत नहीं बने रहन दो तमाम दूसरी कमियों की तरह लो भई हम भी बाबा बन गए … पढना जारी रखे

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एक और अनेकः महेन की बतियां

उन्मुक्त होने में जो आनंद है वो नियमित होने में नही, इसमें बंधन खुल से जाते हैं। फुरसतिया ने चर्चा से जाने पर अनियमित चर्चा करने की बात करी, लेकिन मेरा चर्चा छोड़ना किसी बंधन की वजह से नही था। … पढना जारी रखे

chitha charcha, chitthacharcha, Tarun में प्रकाशित किया गया | 22 टिप्पणियां

कलमबंद , लामबंद , कामबंद : ब्लॉगिग शुरू

प्रमोद जी की पोस्ट आज ब्लॉगवाणी पर दूसरे स्थान पर सजी हुई है ! उन्हें जबजब भी पढती हूं आंखों के आगे उनके खींचे चित्रों को उतारने की कोशिश करती हूं ! वे गूढ लिखते हैं एक बार में पकड … पढना जारी रखे

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कसम को तोड़ देता मैं : लेकिन शरीर कमज़ोर टाइप लग रहा है आज

चुनाव आने वाले हैं. आने वाले क्या, आ गए हैं. हमारे सर पर खड़े हैं. खड़े क्या, बैठने के लिए तैयार हैं. चुनाव बैठने के लिए तैयार होते हैं तो नेता खड़ा हो जाता है. खड़े-खड़े बोर होता है तो … पढना जारी रखे

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बिना ऊंट के रेगिस्तान मुकम्मल नहीं होता

कल रात को पोस्ट लिखी। अब सुबह-सुबह फ़िर बोर करना क्या ठीक होगा। लेकिन हम कहे भी थे कि कल मुलाकात होगी। वादा किया है वो निभाना पड़ेगा इसलिये लिख ही देते हैं। जो होगा देखा जायेगा। आप ब्लाग क्यों … पढना जारी रखे

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कल फ़िर मुलाकात होगी

कल की चर्चा बड़ी मुश्किल से प्रकाशित हो पायी। न जाने क्या लफ़ड़ा था। लेकिन कविताजी लगातार लगी रहीं बिना सोये, बिना कुछ खाये पिये। अंतत: रात को दस बजे चर्चा पोस्ट हो पायी। एतिहासिक महत्व की चर्चा होने के … पढना जारी रखे

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बलिदान :बलिदानी : भारतमाता की जय

<a href="http://farm1.static.flickr.com/21/38725721_1f8889c918_m.jpg&quot; title="द ट्रिब्यून”><img src="http://1.bp.blogspot.com/_fhLmSp9a_jY/ScZOXK9kMVI/AAAAAAAACrg/cRDEq0629iM/s400/Tribune_front_page_Bhagat_Singh.jpg&quot; alt="द ट्रिब्यून “> २५ मार्च १९३१ को लाहौर से प्रकाशित `द ट्रिब्यून’ का मुखपृष्ठ सर्वश्री क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को २४ मार्च 1931 को दी जाने वाली फाँसी को एक दिन पहले कर … पढना जारी रखे

bhagat singh, INDIA, Kavita Vachaknavee में प्रकाशित किया गया | 18 टिप्पणियां