Monthly Archives: अगस्त 2009

दुनिया जिसे कहते हैं ऊ त इसी ब्लाग पर मिलेगी आज

जिन्ना, अडवाणी, भागवत आदि के अलावा इतवार की खास खबर हिन्दुस्तान प्रबंधन से मृणाल पाण्डेयजी की विदाई का समाचार रहा। खेल पत्रकार ने मृणालजी के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुये लिखा: जहां तक मृणालजी का प्रश्न है तो … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | 20 टिप्पणियां

क्या क्विक गन मुरुगन को देखने के लिए हम दर्शकों में अपनी तैयारी और चेतना जरूरी है?

  आँखें खोलो भोर हुयी है; दिन निकला है शोर हुयी है; लोगों को जल्दी है देर हुयी है; आँखें खोलो भोर हुयी है.   क्या ये नर्सरी राइम है? नहीं. अगली पंक्ति पढ़ें –   आँखों पे है माया … पढना जारी रखे

रविरतलामी में प्रकाशित किया गया | 6 टिप्पणियां

और यह एक और शानदार जानदार चिट्ठा चर्चा

याद कर रहा था आर्यपुत्र नींबूपानी में नमक डाल के पीते हुए, वह पुराना समय जब अपनी शैय्या के ऊपर रखे दो मोबाइलों के अलार्म एक एक करके बंद हुए – एक तो अभी से ठीक बारह घंटे पहले, भारतीय … पढना जारी रखे

आलोक में प्रकाशित किया गया | 12 टिप्पणियां

बीवी उधार चाहिए..

रचना जी ने अपने ब्लॉग हिंदी ब्लोगिंग की देन में एक लिंक दिया है.. लिंक पर क्लिक करने पर आप पहुँचते है प्रभात गोपाल जी के ब्लॉग पर जहाँ वे फरमाते है..हे विद्वान ब्लागरों हमारी संवेदना को जानो, भाषा की … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | 17 टिप्पणियां

‘जजमेंटल’ होने के ट्रैप से बचा रहना

कल अनूपजी ने चर्चा तारीख बदलने से बस कुछ ही पहले की, एक जानकार चर्चापाठक ने राय रखी- ई अपरिहार्य कार्य चर्चा के दिन ही क्यों टपक पड़ते हैं??? और यह मुत्तादी [कंटेजियस] क्यों होते हैं?? शायद किसी ब्लाग वायरस … पढना जारी रखे

चिट्ठाचर्चा, मसिजीवी, chitha charcha, chithacharcha, masijeevi में प्रकाशित किया गया | 27 टिप्पणियां

झाड़ू की नुकीली तीली का इंजेक्शन

डाक्टर से गड़बड़ सुई नहीं लगवानी चाहिये। लेकिन झाड़ू की सुई गड़बड़ होती है कि नहीं ई कौन बतायेगा? लेकिन आभीजी बचपन में झाड़ू की सींक से इन्जेक्शन लगाती रहीं: हमारे पास बहुत सारे खिलौने होते थे लेकिन नहीं होता … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | 11 टिप्पणियां

कुछ नहीं लिखने का मन कर रहा है

चर्चा करने का दिन हमारे लिए बुधवार का था लेकिन कुछ अटके अधूरे काम करने बैठे तो दिन बीत गया … फिर कुछ अतिथि… अतिथि देवो भव…. जानकर उनकी खातिरदारी में व्यस्त हुए तो समय रेत से फिसल गया हाथ … पढना जारी रखे

मीनाक्षी में प्रकाशित किया गया | 10 टिप्पणियां

देह, सेक्स और अजब संयोग

मैं अभी कुछ दिनों पहले ही अनुपजी से अनुगूँज फिर से शुरू करने की बात चैट पर कर रहा था और आज देखा तो उन्होंने एक पुराने अनुगूँज की रिठेल दे मारी। पहला आयोजन क्या देह ही है सब कुछ? … पढना जारी रखे

chitthacharcha, Tarun में प्रकाशित किया गया | 5 टिप्पणियां

भूख बिठाकर घर में उसका यार हुआ है घूरे लाल

आपने उड़ि-उड़ि बैठी हलवैया दुकनिया वाला गाना सुना होगा। इधर देखिये मोटरसाइकिलें उड़ रही हैं। डॉ. अहमद अली ‘बर्क़ी’ आज़मी की प्रदूषण पर कवितायें देखिये और प्रदूषण से बचने का मन बनाइये। सामान्य ज्ञान बढ़ा लीजिये अनिल कान्त की संगति … पढना जारी रखे

Uncategorized में प्रकाशित किया गया | 29 टिप्पणियां

मधुमक्खियाँ फूलों पर मँडराती नहीं

हफ़्ते की शुरुआत में नमस्कार या कुछ और कहते हुये डर लग रहा है। लेकिन ये डर ऊ वाला नहीं है जिसमें कहीं भूल से तू न समझ बैठे मैं तुझसे मोहब्बत करता हूं! लफ़ड़ा हो। हुआ ये कि भैये … पढना जारी रखे

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