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Monthly Archives: जनवरी 2007
गाँधीजी का न्यासिता (ट्रस्टीशिप) संबंधी सिद्धांत
गाँधी जी पुण्य स्मरण करते हुये आज की चर्चा प्रारंभ कर रहा हूँ. १२ जनवरी से शुरु हुई जद्दो जेहद को आज अंजाम पाते देख खुशी से आँख छलक आई. इसे कहते हैं कि अगर जज्बा हो तो मंजिल पाने … पढना जारी रखे
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3 टिप्पणियां
मध्यान्हचर्चा दिनांक : 30-01-2007
संजय लैपटॉप पर चिट्ठा-दंगल का हाल देख रहे थे तो दुसरी ओर धृतराष्ट्र भी अपनी कोफी क आनन्द लेते हुए चर्चा के शुरू होने कि प्रतीक्षा कर रहे थे. धृतराष्ट्र : बताओ संजय, क्या दिख रहा है? सब कुछ शांत … पढना जारी रखे
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1 टिप्पणी
आज चिट्ठों की चर्चा शुरु जो करी,सोच में पड़ गया कि कहां से करूँकिस को छोड़ूँ, किसे मैं समेटूँ यहाँऔर किसको कहाँ पर उठा कर धरूँएक चिट्ठे पे कोई नहीं पोस्ट हैलिख के ये पोस्ट वो कर गये देखियेऔर जिसने … पढना जारी रखे
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अंतर्जालीय चेंगड़ों का दिवंगतों को श्रद्धा सुमन
भारत के सृजनाकाश के कुछ चमकते सितारे पिछले दिनों अस्त हो गए. हिन्दी साहित्य के – डॉ. ब्रजेन्द्र अवस्थी का इंतकाल पिछले हफ़्ते हुआ. इधर महान साहित्यकार, संपादक व पत्रकार कमलेश्वर के इंतकाल की खबर आई ही थी कि भारत … पढना जारी रखे
चिट्ठा चर्चा, चिट्ठाचर्चा, हिन्दी, हिन्दी चिट्ठाचर्चा में प्रकाशित किया गया
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कमलेश्वर : भावभीनी श्रृद्धांजलि
साथियों मै प्रस्तुत हूँ, शनिवार के चिट्ठों अर्थात दिनांक २७ जनवरी के चिट्ठों की चर्चा लेकर। आप लोग तैयार है ना? आगे बढने से पहले, एक दु:खद समाचार, हिन्दी के जाने माने साहित्यकार कमलेश्वर जी आज हमारे बीच नही रहे। … पढना जारी रखे
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9 टिप्पणियां
सिंहासन पर बैठा, उनके तमगे कौन लगाता है?
मित्रों चिट्ठा चर्चा में आये अवरोध के लिये क्षमाप्रार्थी है यह दल। मेरी ओर से प्रस्तुत हैं २६ जनवरी के चिट्ठों की संक्षिप्त चर्चा। गणतंत्र दिवस के अवसर पर अनूप ने प्रकाशित किया हरिशंकर परसाई का लेख ठिठुरता हुआ गणतंत्र, … पढना जारी रखे
debashish में प्रकाशित किया गया
4 टिप्पणियां
उफ्फ!!ये कहाँ आ गये हम
सन १९८१ में एक फिल्म आई थी ‘सिलसिला’. अमिताभ और रेखा मुख्य कलाकार थे. याद आता है वो कशिश भरा गीत, जब अमिताभ अपनी स्थितियों को यूँ शब्द देते हैं: मैं और मेरी तन्हाई, अक्सर ये बातें करते हैं,तुम होती … पढना जारी रखे
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10 टिप्पणियां
मध्यान्हचर्चा दिनांक : 24-01-2007
संजय मुँह लटकाए लैपटॉप की स्क्रीन को ताक रहे थे. धृतराष्ट्र संजय को घूर रहे थे. तभी चपरासी संजय के आगे काफी का मग रख कर चला गया. धृतराष्ट्र : क्या बात है? मुँह क्यों लटका रखा है? संजय : … पढना जारी रखे
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6 टिप्पणियां
यह अच्छी बात नहीं!!
सबसे पहले डा बृजेन्द्र अवस्थी को हिन्दी चिट्ठाजगत की तरफ से भावभीनी श्रद्धान्जलि. अभिनव शुक्ला जी ने डा बृजेन्द्र अवस्थी को श्रद्धान्जलि देते हुये अपना संस्मरण लिखा है और अगले शनिवार को श्रद्धान्जलि सभा का आयोजन किया है. डा बृजेन्द्र … पढना जारी रखे
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15 टिप्पणियां
मध्यान्हचर्चा दिनांक : 22-01-2007
धृतराष्ट्र कोफी का आनन्द ले रहे थे, संजय लैपटॉप की स्क्रीन पर आँखें टिकाए हुए थे. कक्ष की शांति को भंग करते हुए धृतराष्ट्र ने पुछा ,”क्या हुआ संजय?”संजय : कुछ नहीं महाराज, हिन्दी में समाचार पढ़ने लग गया था. … पढना जारी रखे
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