Category Archives: हिन्दी चिट्ठाचर्चा

शनिवार की चर्चा

नमस्कार मित्रो! मैं मनोज कुमार एक बार फिर शनिवार की चर्चा के साथ हाज़िर हूं। मेरी पिछली चर्चा के पोस्ट पर एक भाई ने कमेंट किया था कि हमारे ब्‍लाग की भी आप चर्चा करें। इसके लिए क्‍या करना होगा। … पढना जारी रखे

मनोज कुमार, हिन्दी चिट्ठाचर्चा में प्रकाशित किया गया | 28 टिप्पणियां

विशिंग ए मेनकाफुल एंड मंथरालेस नरक चौदसी टू यू

पहले कुछ दीपावली संदेशों की झलक पा ली जाए- साथी चर्चाब्‍लॉग ‘ब्‍लॉगआनप्रिंट’ अपनी सारी सज्‍जा में दीवालीमय हो गया है, वैसे नई सूचना समीर को सम्‍मान मिलने की है। समीर को बधाई। ब्‍लॉग के अनेकानेक दीपों में से एक दीपपंक्ति- … पढना जारी रखे

मसिजीवी, हिन्दी चिट्ठाचर्चा, masijeevi में प्रकाशित किया गया | 22 टिप्पणियां

कुझ रुख मैनूं पुत लगदे ने, कुझ रुख लगदे माँवाँ

कल एक समाचार आ रहा था कि विश्व में जिस देश को अपनी सुरक्षा का खतरा जहाँ से हुआ उसने उसे तबाह कर दिया। उदाहरण के रूप में अमेरिका का लादेन की खोज में अफगानिस्तान, इजरायल को तो अभी अभी … पढना जारी रखे

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तालेबंदी,गिरोहबंदी, मंदी और चतुर चतुरानन चोरों की चाँदी

” या निशा सर्वभूतानाम् तस्यां जागर्ति संयमी” चर्चा के इस मंच पर घणा विमर्श चल रहा है, यह आत्ममन्थन, विवेचना और आत्मपरीक्षण का अवसर जैसा भी हो सकता है ब्लॉग जगत के व्यक्तित्व के लिए| ऐसी स्थितियाँ इतवारी गुफ्तगू के … पढना जारी रखे

चिट्ठा चर्चा, हिन्दी चिट्ठाचर्चा, Blogger, Kavita Vachaknavee में प्रकाशित किया गया | 24 टिप्पणियां

बस करो हुण, बस करो वे

आज केवल हिन्दीतर चिट्ठों की ही चर्चा का मन बनाया है ताकि हम भाषा के स्तर पर ही सही कम से कम एक विश्वमानव व एक भारतीय आत्मा के भावबोध को अपनाने की दिशा में प्रमाण जुटाएँ। केवल एक जानकारी … पढना जारी रखे

हिन्दी चिट्ठाचर्चा, Blogger, chitthacharcha, Kavita Vachaknavee में प्रकाशित किया गया | 25 टिप्पणियां

मैं सच में केवल इसलिए बचा हूँ क्योंकि…..

देश में स्थितियाँ निरंतर घातक बनी हुई हैं। पिछले ४-५ दिन का चिट्ठाजगत और ब्लॉगवाणी का आँकड़ा देखें तो सर्वाधिक प्रविष्टियाँ राष्ट्रीय विपदा की इस घड़ी के चहुँ ओर घूमती दिखाई देती हैं। हम आपादमस्तक लज्जा में गड़ने के खुलासों … पढना जारी रखे

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अपनी ही तुच्छताओं की अधीनता

आज यद्यपि मुझे यात्रा पर निकलना है और प्रातः ४.३० बजे बैठ कर चर्चा शुरू करने की इस घड़ी में अभी यह भी नहीं पता कि कितना लिखा जा सकेगा। स्पोंडेलाइटिस के गंभीर कष्ट से १० घंटे से परेशान हूँ … पढना जारी रखे

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औरतें : परिवार, रंग, खेमे और चर्चा की सहज संभाव्य कविता के नए प्रतिमान

सुबह की चर्चा के बाद गंगा में जाने कितना पानी बह चुका है पर हम हैं कि वहीं ठिठके अटके हैं कि अभी एक लाईना बकाया है | वैसे क्या आपको नहीं लगता कि आज का दिन कविता के नाम … पढना जारी रखे

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सूरज कण कण नै चमकावै, चन्दो इमरत रस बरसावै,

गत दिनों Ghost Buster ने प्रश्नवाचक मुद्रा में व्यंग्य किया कि तो क्या ब्लॉग जगत में कवितायें भी लिखी जा रही हैं???? कहाँ???? (मतलब राकेश खंडेलवाल जी के अलावा.) तो सोचा कि आज कविता की चर्चा अधिक की जाए और … पढना जारी रखे

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हल्की शीत की उत्तरभारतीय सिहरन के बीच : अपनी आग में निरंतर दहक रहा देश

रविवार की इस नौ नवंबरी प्रभात की वेला में हल्की शीत की उत्तरभारतीय सिहरन के बीच घरों के दुशाले, कम्बल, शाल, निकालते-ओढ़ते-पहनते भारतवासियों का देश अपनी आग में निरंतर दहक रहा है; जबकि पूरे देश को एक करने वाली शीत … पढना जारी रखे

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