Category Archives: शिवकुमार मिश्र

मिले बस चैन दिन का और गहरी नीद रातों की

बहुत दिनों बाद आज चर्चा करने की सोची. एक बार के लिए मन में विचार आया कि बहुत दिन बीत गए हैं, चर्चा कैसे की जाती है पता नहीं वो याद है या नहीं? फिर कहीं से सूचना मिली कि … पढना जारी रखे

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बसंत पंचमी पर कविताओं की चर्चा

आज बसंत पंचमी है. कह सकते हैं आज बसंत आ गया. सर्दी है फिर भी आ गया. सर्दी से जरा भी नहीं डरा. बसंत आता है तो कविताओं की भी बाढ़ आ जाती है. आखिर वह बसंत ही क्या जो … पढना जारी रखे

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तुलसी और दुर्वासा इतने भौंडे तो नहीं थे

ब्लॉग पर कविता लिखना कितना आसान है उसका एक उदाहरण देखिये. स्वनामधन्य महाकवि श्री अलबेला खत्री ने एक कविता लिखी है. कविता का शीर्षक है; “लोग माथा पीट रहे हैं और तुम लिंग पकड़ कर बैठी हो.“ शीर्षक पढ़ लिया? … पढना जारी रखे

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बड़ी घिनौनी लगती है अब आदम की बू-बास मियां

बहुत दिनों बाद आज चिट्ठाचर्चा करने बैठा हूँ. लगता है जैसे भूल गया हूँ कि कहाँ से शुरू करें और कहाँ ख़तम करें? लेकिन चर्चा करनी है तो कहीं से भी शुरू कर दूँ न. करीब बारह बजे रात के … पढना जारी रखे

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