Category Archives: मीनाक्षी

वक़्त एक सिगरेट है जिसका एक सिरा तेजी से जलता है !

आज की चर्चा देरी से हो पाई…. उसके लिए क्षमा करिएगा…..सोचा था कि 3-4 पोस्ट पढ़कर मिनी चर्चा हम भी ‘ठेल’ देंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाता … किसी की 24वीं वर्षगाँठ पर लिखी हल्की फुल्की रचना हो या शादी … पढना जारी रखे

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कुछ नहीं लिखने का मन कर रहा है

चर्चा करने का दिन हमारे लिए बुधवार का था लेकिन कुछ अटके अधूरे काम करने बैठे तो दिन बीत गया … फिर कुछ अतिथि… अतिथि देवो भव…. जानकर उनकी खातिरदारी में व्यस्त हुए तो समय रेत से फिसल गया हाथ … पढना जारी रखे

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लौटे हैं शुक्रिया अदा करने

ब्लॉग जगत के सभी वासियों को नमस्कार ! पिछले कुछ महीनों से दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों और डॉक्टरों को परखने में व्यस्त रहे… अब सब कुशल मंगल है… आप सबके आशीर्वाद से बेटे की सर्जरी सफल हुई….अब वह ज़िन्दगी … पढना जारी रखे

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इक नई उम्मीद लेके आएगी कल की सहर

आज की चर्चा अनूपजी के याद दिलाने पर सम्भव पाई… इस कारण कई चिट्ठों को पढ़ने का मौका मिला… कभी कभी हम पूरी पोस्ट पढ़ जाते हैं लेकिन कुछ पंक्तियाँ दिल को छू जाती हैं……… आज उन्हें यहाँ उतार दिया … पढना जारी रखे

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वह जिंदगी जिंदगी ही क्या जिसमें अस्त व्यस्तताएं न हो

पिछले दिनों की व्यस्तता में चिट्ठाचर्चा ही नहीं लेखन और पठन भी छूट गया….वक्त को चकमा दे देकर पढ़ने का नशा ऐसे जैसे मौका पाते ही मधुरस का पान….पिछले दो दिनों से यही करते करते अनायास ही चर्चा की सामग्री … पढना जारी रखे

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साँसों का पैमाना टूटेगा, पलभर में हाथों से छूटेगा

हमेशा से मानते आए हैं कि इस जग में प्रेम ही सत्य है लेकिन उस पार कहीं दूर अंजाने जग में मृत्यु सत्य है… अटल है, यह भी जानते हैं… … उसके चंगुल से निकल पाना नामुमकिन है…. कवि जगत … पढना जारी रखे

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नियमित होते होते अनियमित हो गए !

आज हम चर्चा करने में देरी कर गए…. कल अनूपजी की चर्चा देर रात पढ़कर नियमित होने की जितनी कोशिश की थी, आज असफल हो गए लेकिन शायद कोशिश करते रहना ही हमें सफलता की ओर ले जाता है…अपने बेटे … पढना जारी रखे

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मेरा परिचय……है !!

हर इंसान अपना परिचय अपने ही अन्दाज़ में देता है, अपने ब्लॉग पर ‘भूतनाथ’ द्वारा मिली टिप्पणी पाकर जब उनके ब्लॉग़ पर जाना हुआ तो उनके परिचय में लिखी उनकी पंक्तियों ने आकर्षित किया….………आदमी होने का कोई फायदा ना था…..चुपचाप … पढना जारी रखे

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ब्लॉगजगत की हवेली के अनगिनत दरवाज़े

पहली बार अनायास ही हमारे द्वारा की गई चिट्ठाचर्चा आप सबके सामने आ गई या यूँ कहिए कि रविरतलामीजी का कहा टाल न सके और अनूप शुक्ल जी ने झट से मंच पर धकेल दिया… लेकिन मंच पर आकर कुछ … पढना जारी रखे

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