Category Archives: मसिजीवी

बताइए साबजी कैसा लग रहा है ?

प्रौद्योगिकी की दुनिया बहुत तेजी से बदलती है..इतनी  तेजी से कि इंसान अपनी एक ही पीढ़ी में तकनीक की कई पीढि़यॉं देख कर विदा लेता है…  अभी कल तक की बात लगती है जब डोस वातावरण में फ्लॉपी डालकर बूट … पढना जारी रखे

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‘सर्वाइवल इज नॉट नेगोशिएबुल’ – टपकते एडीएसएल से चर्चा की कुछ बूंदें

इंटरनेट सुबह से रूठा हुआ है, मॉडम की एडीएसएल की लाइट दिलासा देते देते अचानक टपक जाती है। यूँ तो छुट्टी है पर इतने भी खाली नहीं हैं कि एमटीएनएल मॉडम के टप टप देखने के अलावा कोई काम न … पढना जारी रखे

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चित्रचर्चा: एक शब्‍द-विरोधी समय में

ब्‍लॉगजगत में समय घनघोर शब्‍दविरोधी हो चला है। उधर ज्ञानदत्‍तजी ने उम्‍मीद जाहिर की थी कि जितना जल्‍द हो सके शब्‍द का बबल बर्स्‍ट होना चाहिए। तिस पर अगर आप ये जो भी हैं अवधिया चाचा की टिप्‍पणियॉं देख रहे … पढना जारी रखे

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एक कर्मठ जिद की शोकगीति

खबर समकालीन जनमत से मिली बाद में पीटीआई से पुष्टि- प्रख्‍यात पत्रकार प्रभाष जोशी नहीं रहे। मशहूर पत्रकार प्रभाष जोशी नहीं रहे। 72 साल के जोशी जी का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। प्रभाष जोशी ने पत्रकारिता की … पढना जारी रखे

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जिन्‍हें हमारा मुल्‍क चुभता है

  वैसे तो इलाहबाद पर कुरूक्षेत्र अभी जारी है और क्या पैंतरे हैं साहब…मजा आ गया। जिसने भी अब तक हिन्‍दी चिट्ठाकारी के विवाद देखे हैं वह मानेगा कि इस प्रकरण के जैसा अब तक कुछ नहीं हुआ…तिस पर भी … पढना जारी रखे

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विशिंग ए मेनकाफुल एंड मंथरालेस नरक चौदसी टू यू

पहले कुछ दीपावली संदेशों की झलक पा ली जाए- साथी चर्चाब्‍लॉग ‘ब्‍लॉगआनप्रिंट’ अपनी सारी सज्‍जा में दीवालीमय हो गया है, वैसे नई सूचना समीर को सम्‍मान मिलने की है। समीर को बधाई। ब्‍लॉग के अनेकानेक दीपों में से एक दीपपंक्ति- … पढना जारी रखे

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बवाले जान हुआ खुदा

ईश्‍वर मध्‍ययुगीनता के प्रतीकात्‍मक अवशेष का नाम है। जब जब इंसान को यह भ्रम होने लगता है कि वह मध्‍ययुगीनता से बाहर तो नहीं आ गया वो झट से भगवान को याद कर लेता है तुरंत ही पूरी हिंस्र मध्‍ययुगीनता … पढना जारी रखे

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काठ के उल्‍लुओं की स्‍वीकारोक्तियॉं

जब आत्मस्वीकृतियॉं आर्डर आफ डे बन ही गई हैं तो हम भी स्‍वीकार कर लें कि कि हम अहमक हैं, मूर्ख हैं, चुगद हैं, आलसी हैं, नकारा हैं…. लुब्‍बो लुआब ये कि जो अब तक आप हमारे बारे में सोचते … पढना जारी रखे

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‘जजमेंटल’ होने के ट्रैप से बचा रहना

कल अनूपजी ने चर्चा तारीख बदलने से बस कुछ ही पहले की, एक जानकार चर्चापाठक ने राय रखी- ई अपरिहार्य कार्य चर्चा के दिन ही क्यों टपक पड़ते हैं??? और यह मुत्तादी [कंटेजियस] क्यों होते हैं?? शायद किसी ब्लाग वायरस … पढना जारी रखे

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एक पापाराज्‍़ज़ी चर्चा बरास्‍ता ट्विटर

चर्चा से पहले देख लें कि पिछले 24 घंटे में किसने क्‍या लिखा। अब ये भी कोई बात हुई एग्रीगेटर से तो कोई भी पता चला लेगा कि किस चिट्ठाकार ने क्‍या लिखा, ऐसे में चर्चाकार क्‍या भाड़ भूंज रहा … पढना जारी रखे

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