Category Archives: चिट्ठचर्चा

100 % रीयल हाईस्कूल फेयरवेल स्पीच…

आमतौर पर फेयरवेल स्पीच (अलविदा व्याख्यान?) बड़ी मेहतन से तैयार किए जाते हैं, मगर उनमें से कुछेक ही याद रखे जाते हैं. ये वाला फेयरवेल स्पीच भी ऐसा ही है, और अनंत मर्तबा, युगों युगों तक फारवर्ड होने का माद्दा … पढना जारी रखे

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मैडम आपको क्या परेशानी है??

शीर्षक देखकर भागे चले आये मानो कि बम फूटा हो. अरे महाराज, संदर्भ तो समझ लो कि दौड़ते ही रहोगे? यह ब्रह्म वाक्य नीलिमा जी की उस पोस्ट का हिस्सा है जिसमें वो बुजुर्गों के और नई पीढ़ी के बीच … पढना जारी रखे

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जुम्‍मे के जुम्‍मे हमारे जिम्‍मे

सुकुलजी ने एक एक कर मुझे, सुजाता व नीलिमा, हम तीनों के ही मेल बाक्स में एक सा तकादा किया कि हफ्ते का अपना दिन खुद संभालों कब तक हम अकेले देखें। फिर देखा कि समीरभाई तक अपनी उड़नतश्‍तरी और … पढना जारी रखे

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और भी काम हैं जमाने में…

जब दो तीन महिने भारत से ठकुरासी करके लौटते हैं तो पहले दिन ऒफिस जाते ही दस मिनट हालचाल पूछने का शिष्टाचार निभाने के बाद ऐसा काम लादा जाता है कि प्राण ही निकल आते हैं. लगता है कि गये … पढना जारी रखे

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दाग अच्‍छे हैं

हिंदी की चिट्ठाकारी में ‘जारी’ साधुवाद युग की ही तरह राष्‍ट्रपति भवन में ही ऐसा ही युग जारी था कलाम गए तो राहत की सांस ली गई। बिहारी बाबू और खुलासा कर बता रहे हैं- अब आप ही बताइए न … पढना जारी रखे

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