फिर बात कुछ नवांकुरित चिट्ठों की। पहले पहल बर्लिन स्थित क्षितिज कुलश्रेष्ठ का “एक और नज़रिया“। शायद जर्मनी की हवा ने क्षितिज को अपनी सेक्सुअल पसंद की खुलेआम चर्चा करने का साहस दिया है। क्षितिज आपकी साफगोई की प्रशंसा करते हुए हम उम्मीद करेंगे कि समलैंगिक संबंधों के विषय पर और लिखेंगे। ग्रेग गोल्डिंग का चिट्ठा स्टिलिंग स्टिल ड्रीमिंग विविध विषयों पर आधारित चिट्ठा है जिनमें कविताएँ भी शामिल हैं। आखिर में बंगलौर के विजय वडनेरे की कुलबुलाहट की चर्चा। विजय ने शुरुआत की हनुमान चालीसा से और आ पहुंचे चचा तक। आगे क्या रंग लाता है उनका चिट्ठा इसकी कुलबुलाहट तो बनी रहेगी!
-
हाल के पोस्ट
हाल ही की टिप्पणियाँ
पुरालेख
- जनवरी 2011
- दिसम्बर 2010
- नवम्बर 2010
- अक्टूबर 2010
- सितम्बर 2010
- अगस्त 2010
- जुलाई 2010
- जून 2010
- मई 2010
- अप्रैल 2010
- मार्च 2010
- फ़रवरी 2010
- जनवरी 2010
- दिसम्बर 2009
- नवम्बर 2009
- अक्टूबर 2009
- सितम्बर 2009
- अगस्त 2009
- जुलाई 2009
- जून 2009
- मई 2009
- अप्रैल 2009
- मार्च 2009
- फ़रवरी 2009
- जनवरी 2009
- दिसम्बर 2008
- नवम्बर 2008
- अक्टूबर 2008
- सितम्बर 2008
- अगस्त 2008
- जुलाई 2008
- जून 2008
- मई 2008
- अप्रैल 2008
- मार्च 2008
- फ़रवरी 2008
- दिसम्बर 2007
- नवम्बर 2007
- अक्टूबर 2007
- सितम्बर 2007
- अगस्त 2007
- जुलाई 2007
- जून 2007
- मई 2007
- अप्रैल 2007
- मार्च 2007
- फ़रवरी 2007
- जनवरी 2007
- दिसम्बर 2006
- नवम्बर 2006
- अक्टूबर 2006
- सितम्बर 2006
- अगस्त 2006
- मार्च 2006
- फ़रवरी 2006
- दिसम्बर 2005
- नवम्बर 2005
- अक्टूबर 2005
- सितम्बर 2005
- अगस्त 2005
- जुलाई 2005
- जून 2005
- मई 2005
- मार्च 2005
- जनवरी 2005
श्रेणी
- अनूप शुक्ल
- अनूप शुक्ल ०७/०१/०९
- अभय तिवारी
- आलोक
- उड़न तश्तरी
- एग्रीगेटर चर्चा
- कुश
- कोलकाता
- गिरिराज जोशी "कविराज"
- गौतम राजरिशी
- चर्चा
- चर्चा ऑन डिमाण्ड
- चिट्ठचर्चा
- चिट्ठा चर्चा
- चिट्ठाचर्चा
- जितेन्द्र
- जीतू
- डा. अनुराग
- डार्विन का विकासवाद
- डॉ .अनुराग
- तकनीक
- ताऊ रामपुरिया
- दियाबरनी
- दीपावली
- नए
- नव-वर्ष 2010
- नीलिमा
- प्रभाष जोशी
- प्रवीण त्रिवेदी ╬ PRAVEEN TRIVEDI
- प्राइमरी का मास्टर
- प्रेरक
- प्रोफाइल
- फुरसतिया
- मध्यान्हचर्चा
- मनीष कुमार
- मनोज कुमार
- मसिजीवी
- मसिजीवी
- मीनाक्षी
- रचना
- रविरतलामी
- रविवार
- रविवार्ता
- रोशनी
- लवली कुमारी
- लौ
- विज्ञान चर्चा
- विवेक
- विवेक सिंह
- शनिवार की चर्चा
- शिवकुमार मिश्र
- संजय
- संजय तिवारी
- संजय बेंगाणी
- समीक्षा
- समीर लाल
- सागर चन्द नाहर
- सुजाता
- सृजन शिल्पी
- स्वागत
- हिन्दी
- हिन्दी चिट्ठाचर्चा
- २०.१२.२००८
- २१/१२/०८
- २४/१२/०८
- २९/१२/०८
- bhagat singh
- Blogger
- blogs
- chitha charcha
- chithacharcha
- chithha charcha
- chitthacharcha
- criticism
- debashish
- ek aur anek
- Giriraj Joshi "Kaviraj"
- hindiblogs
- holi
- INDIA
- ink blogging
- Kavita Vachaknavee
- masijeevi
- neelima
- note pad
- notepad
- rakesh
- Sagar Chand Nahar
- sameer lal
- sanjay bengani
- Srijan Shilpi
- sujata
- Tarun
- Uncategorized
- vivek
- YOU TUBE
मेटा
हिन्दी चिट्ठे बहूरंगी हो रहे हैं, इस से एक शिकायत तो दूर हो ही जायेगी कि हिन्दी चिट्ठे मात्र कथा कविताओं से भरे होटल हैं.
ग्रेग गोल्डिंग का चिट्ठा है स्टिलिंग स्टिल ड्रीमिंग…
Debashish जी (हिन्दी में स्पेल्लिंग न जानता हूँ),आपका वर्णन के लिए धन्यवाद। और सच ही कि मेरे चिट्ठे का नाम स्टिलिंग स्टिल ड्रीमिंग है, लेकिन वह टुटी-फुटी अंग्रेज़ी है, एक जापान का रैप ग्रूप से, इसलिए समझता हूँ कि सिटिंग स्टिल ड्रीमिंग कुछ और आम लगता है… किसी भी तरह से हिन्दी चिट्ठे के लिए बुरा-सा नाम है; नया नाम चाहिए शायद…
रमण, ग्रेग भूल सुधार कर लिया गया है। लगता है मैंने कुछ ज़्यादा ही सरसरी तौर पर पढ़ लिया।